समय का फेर

जाने कब हो जाए, समय का फेर,

इसलिए मैं कहता हूँ  कही देर ना हो जाए 


जो करना है वो, कर ले सुबह सवेर

जो अटैच किए गए हैं, वे वापस नहीं आएंगे

जो आपका वो,जाने कब गैर हो जाता है 


....जाने कब हो जाए, समय का फेर


बचपन में सारे रिश्ते होते प्यारे से 

जो हुआ करते जान  से प्यारे से

जो समय पर जानकारी करता है

विचार मैं भी अंतर करता हूं

..... जाने कब हो जाए, समय का फेर, इसलिए देर न करें,




समय किसी को नहीं , लेकिन समय खुद आ जाता हैं अपना हिसाब लेने ?

 

समय किसी को नहीं , 

लेकिन समय खुद आ  जाता हैं 

अपना हिसाब लेने ?

 

हाँ ,एक जो किस्मत मे लिखा है

वो बैठे बैठे भी हो जाता है

लेकिन ये 99 के साथ हो सक्ता हैं

लेकिन ये 1 अपना कर्म से अपनी किस्मत बदल सक्ते हैं 


क्योंकि कर्म कूछ नए ,कूछ पुराने होते है

जिनका अच्छा हो जाए तो, 

 हॅसते और बुरा हो जाए तो रोते है


साँसो का चलना और रुकना विधान पर है

लेकिन जो जीवन चाहिए

उसके लिए कर्म जरुरी है


कर्म और किस्मत दोनों सही हो

तो फल सही मे सुकून देता है


नही  तो,

किस्मत को, दोस देना होता ही, है


विक्की प्रधान -


कोशिस की इसने फल जो यें पाया है

लेकिन कोशिस के साथ पुराने कर्मो और

अपने नसीब से यें निर्विरोध बन पाया 

जो थे इसी तरह की दौड़ मे

 

उन्होने अपने आप को और

परिपक करने का मौका दिलाया है?


सारे काम, अपने आप के लिए, नहि होने चाहिए

कुछ भविस्य के लिए - भी कर्ना चाहिए 

ऐसे काम ही आगे चल्कर अपने आप आपका साथ देते हैं

ओर वो करमो का काम करते हैं


समय एक जेसा नही होता - बदल्त  रहता हैं

तो तुमहे भी एक जगह नही रुकना चाहिए ?


बाद मे कम समय होने कि सिकायत  होती हैं

लेकिन समय काफी होता हैं 

हम समय को खराब कर देते हैं 

गलत जगह ओर गल्त रास्ते पर 


अंत समय मे  सब कि, आखो के सामने 

जिवान के सभी करम , सामने आते हैं

फिर वो सोचता हैं कि क्या गल्त किया क्या सही किया?

इसे हि कहते हैं की भग्वन  हिसाब लेता हैं ?