कर्म और धर्म

 

कर्म और धर्म पर चलती आई  ये दुनियां सारी

चाहे फ़ीर किसी भी धर्म का हो, जीवन धारी


कर्म जैसा करोगे,

कलयुगी इस जीवन में -

फल वैसे ही आगे चल कर पाओगे


अगर बीच राहो में, जाने अनजाने

कर कोई जाओ, कुछ धर्म का काम

तो फ़ीर बदल सकते, हमारे कर्मो के फल है

नही तो भुगतने करम आज नही तो कल हैं


धर्म कर्म सें, धार्मिक बन जाते जो विचार है

विचारों सें बनते, जीवन जीने के संस्कार है


संस्कार बनाते समाज के विचार है

विचारों सें चलता ये संसार  है


दुनिया मे जितने भी धरम आए हैं 

सब  एक विशेष जगह से ओर एक विशेष विचार से आए हैं


आज के करम कल पर असर डालते आए हैं 

आज के विचार कल एक जेसे कभी नही पाए हैं 


करम धर्म सदा से चाल्ते आए हैं -

पहले धर्म - करम का दिखवा नही होता था 

अब करम से ज्यादा धरम को मानने का दिखावा ज्यादा करते हैं 












इंतजार किसका है

 इंतजार अभी किसका है

कया किसी के साथ आए थे

जो कर किसी का रहें इंतजार है


अकेले आए इस दुनियां में

अकेले ही जानाइस दुनियां सें है

सब अपने,यारे प्यारे यही रह जाने है

तेहरवी के दिन तक,भी लोग नही सोक मनाते है  .......फिर इंतजार किसका है 

 


दुनियां में कोई ना किसी का साथी है

मरने के बाद ही, सब यारे प्यारे,

सब मिल कर, जल्दी सें जल्दी

करते दाह संस्कार की तैयारी है.....इंतजार किसका है 


कोई कितना भी प्यारा क्यो ना हो

सब बिना उसके जीना सिख जाते है

कैसे चले ये जीवन आगे,

इस विचार में लग जाते है,,,,,,इंतजार किसका है 


बच्चे छोटे होतें तो, कया लेना उन्हें

सब कया हो रहा, समझने की कोशिस करते है

और बच्चे बड़े हुए तो, सब सँभालने लग जाते है

की अब आगे कैसे जीना है कया बापू छोड़ गए है,,,,,इंतजार किसका है 


इसलिए जो जीना है उसमे प्रभु नाम जपते रहो

कुछ गलत कर्म ना हो, जीवन में कोशिस करते रहो

कया कमाया इसका,

जाने के बाद ही पता चलता है.....इंतजार किसका है 


हर एक रिस्ता इस दुनियां में

अपने मतलब को याद करता है

की जाने वाला, हमें कया दे कर जाता है

तभी कोई याद आता है........इंतजार किसका है