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पिया मेरा सूबेदार, कविता, D. K. ग़ुज्जर माजरी,

 पिया मेरी सेना मे सूबेदार,

रहता हर समय बॉर्डर का पहरेदार


निगाहेँ बहुत धारदार

दिखे दुश्मन दिखे कर देता वार


पिया मेरे का काम  सारा रिस्की की

पल पल चिंता मन्ने रहे उसकी


जब याद सतावे उसकी

बार बार आवे हिचकी

कई -2 महीने बाद आवे  जब वो छुट्टी


मेरा बलम सेना मे हवालदार