जो तमन्ना किसी ओर की उसे पुरा करने कि करते होड. हैं
दिल को जो पशंद आ जाए ये उसी तरफ हो जाता हैं
पशंद का ना करे ये पल मे ही हम से नाराज हो जाता हैं
पशंद का हो जाए ये पल मे प्यार का आगाज कर जाता हैं
समय के साथ -2 ईसकी नई पशंद बनती जाती हैं
बचपन मे खेलते ही रहना इसको जो पशंद आता रहा हैं
बचपन जो गुजरा तो खेलना अब इसको पशंद नही आ रहा हैं
जवानी मे दिल की तम्न्ना कुछ ठोश होती जाती हैं
जब बच्चे हो जाते तो अपनी तम्न्ना को हम भुलते जाते हैं
फिर हम बच्चो कि तम्न्ना को ही पुरा करते जाते हैं
फिर अपने दिल को भगवान की प्र्राथना कारने लग जाते हैं
नही मरने कि तमन्ना लिए इस दुनिया से भी चले जाते हैं