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कविता हिंदि मे -अकेले आए इस दुनिया मे अकेले जाना होगा । देविंद्र गुज्जर । chouken Gujjar

 
अकेले आए इस दुनिया मे  अकेले जाना होगा


अकेले अपने कर्म के फल को पाना होगा

 
ना भाई ना बहन ना बच्चो को सह्नना होगा
ना मा बाप ना साथ अर्धागनी का होगा
....अकेले आए इस दुनिया मे  अकेले जाना होगा
 
जीवन मे कर्म का  हमे फल भुगतना होगा
ना साथ किसी का हमारे कर्मो मे होगा
....अकेले आए इस दुनिया मे  अकेले जाना होगा
 
कर्म का फल अपना -2 ही  होगा
साथ मे ना कोई रीश्ता नाता होगा
....अकेले आए इस दुनिया मे  अकेले जाना होगा
 
फिर हे को पाप कमाता फिर्ता
फिर काहे को मेरा तेरा कर्ता फिर्ता
जीवन तो  हर हाल मे जिना होगा
जीवन तो अछछे कर्म के साथ जीना होगा
....अकेले आए इस दुनिया मे  अकेले जाना होगा
 
इस शंशार मे जितने भी संस्कार आए
सब कर्म के रूप मे आए
कर्म भुले तो पाप कमाए
फिर पाप का फल पाना होगा
....अकेले आए इस दुनिया मे  अकेले जाना होगा
 
जन्म से मर्ण तक सब हम
सब  मुहमाया मे जिते आए
एक के बाद एक सपने बनाते आए
पर अपने कर्मो का फल अपने आप लेना होगा
....अकेले आए इस दुनिया मे  अकेले जाना होगा
 
बचपन मे बेखबर रहा मोहमाया से
जवानी मे बेबस होता आया मोहमाया से
बुढापे मे साथ छुटा जो काया से
जाते समय राम का नाम बोल कर जाना होगा
....अकेले आए इस दुनिया मे  अकेले जाना होगा