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सभी की फौजी के कार्ड और पेंशन पर नजर

 सभी की फौजी के कार्ड और पेंशन पर नजर


फौजी शब्द सामने आते ही -?

जेहन मे क्या आता है?-

बॉर्डर पर सहीद होते फौजी का -

घर पर आना - और लोगो की भीड़ और नारों से आसमान का गुंजना?

दूसरि और जब फौजी छुट्टी 

आते और जाते यदि शिट कन्फर्म ना हो तो?


फौजी गेलरी मे ही पूरा सफर निकाल देता है?

कोई पूछता तक नहीं है उसे?


और जब पहुंच जाता अपने घर पर -?

सभी अपनी अपनी डिमांड आगे रख देती है?

कोई उसके दिल की नहीं पूछता?

की उसके मन मे क्या चल रहा है?


कब जाना है? तबीयत केसी है?

जहां ड्यूटी है माहौल क्या है?


 किसी को केंटीन की दारू 

किसी को केंटीन सूट कैस

किसी को केंटीन की साबुन 

किसी को केंटीन की घड़ी चाहिए होतीं है?


कहते है यार तेरा ही इंतजार कर रहे थे?

बाइक या गाडी दिला दे केंटीन से?


हाँ पहले बोले तो 2000 के पहले 

रास्ते से कोई फौजी निकल रहा होता था?

लोग अपने घर बुला दूध या कुछ मीठा खिलाते थे?

काफ़ी बाते होतीं थी लेकिन अब सब बदल गया है?


यदि फौजी पेंशन आ चूका है?

तो उसका खयाल केवळ पेंशन तक होता है?

बाकी कोई पूछता तक नहो?

यदि कोई देख रेख कर लेता है तो कोई लाखो मे मिलता है?


यानि की फौजी की इज्जत नहीं?

उसके कार्ड और पैसे की अलख लगी रहती है?


किसीसे  किसी को कुछ नहीं लेना होता है 

देश भक्ति और प्यार केवळ दिखावे के लिए है?