Satrangi Jeevan । जीवन bada सतरंगी । JIVAN BADA SATRANGI । हिंदि me कविता । देविंद्र गुज्जर।

 












जीवन बडा सतरंगी पल पल रंग बदलते जाए
जो रंग पक्ड.ना चाहे वो ही बदलते जाए

जो बचपन का रंग ना लड.क्पन मे नजर आए
जो वो हि रंग नजर आए तो फिका पडता जाए
 
जीवन कि रंगोली को मोका मिले वो ही लुट ले जाए
जीवन मे भरोसे का रंग हवा चले फिका पड. जाए
 
कल्युग के सफर मे ना किसी पे भरोशा हो पाए
जिस पे भी भरोशा करो अपना रंग वो बदल जाए
 
रूप बदल-2 मन मे बेठ, मन कि वो ले जाए
विचारो का रंग बदले ज्यु ही जग मे वो उडा.ए
 
बचपन से जो घर मे प्यार का रंग नजर आए
बचपन ढले वो भी अपना रूप बदलता ही जाए
 
जीवन बचपन से मरने तक हर त्रह के रंग दिखाता जाए
जीवन मे सबसे प्यारा समय पर रंग बदलता जाए
 
भाई बहन ओर यारो प्यारो का ना रंग समझ मे आए
बुरे वक्त मे  इनका प्यार वाला रंग ना नजर मे आए
 
इस कल्युगि जीवन मे, जो प्यार का रंग पा जाए
देविंदेर फोजि कहता उसका जीवन सफल हो जाए
 
फिर भी अपने-पन के लिए ये मन धोखा खाता जाए
जाने क्यो मोहमाया के चक्कर मे बदलता जाए
 
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मन का मोह । समय के साथ बद्ल जाता हैं । हिंदि me कविता । Devinder Gujjar । मन मोहक सफर जीवन का ।




 


मन का मोह समय के साथ बद्ल जाता हैं
ये बचपन मे कुछ ओर होता हैं
ये लड.क्पन मे कुछ ओर हो जाता हैं
ओर ये जावनी आते-2 बिलकुल बदल जाता हैं
.....समय कि मार से बदलता जाता हैं.
 
जींदगी के सफर मे थफोडे खा-2 ये बदलता जाता हैं.
ज्यो-2 समय निकलता जाता ये बदलता जाता हैं
..ये समय कि मार से बदलता जाता हैं.
 
जवानी के दिनो मे ये एक जगह नही रूक पाता हैं
कभी प्यार का मोह, तो कभी यार का मोह आता हैं
...ये समय कि मार से बदलता जाता हैं.
 
फिर येअपने परिवार के मोह मे पड. जाता हैं
मन का मोह बुढापा आने तक बदलता जाता हैं
...ये समय कि मार से बदलता जाता हैं.
 
बुढापा आते ही ये विराम लगाने लग जाता हैं
अब ये चाह कर भी नही बदल पाता हैं
..ये समय कि मार से बदलता जाता हैं.
 

kya कोरोना प्रकर्ति का विचार । कोविड-19 पर कविता हिंदी me । देविंद्र गुज्जर । कोरोना काल मे माहोल ।

 KAVITA: CORONA-3
 



कोरोना महामारी नही एक प्रकर्ति का विचार हैं
कोरोना दुर करने आई हमारे मन का विकार है
 
सब अपने वस मे करने का, मानव को नही अधीकार हैं
हे मानव तुम्हारे उप्पर भी चलती किसी की सरकार हैं
 
आए दिन दुनिया मे जो गलत हो रहे अविश्कार हैं
ये अविश्कार ही तो मानव के बन रहे अह्ंकार है
 
मानव प्रकूति को बदलने की कोशश कर रहा लगातार हैं
ये जो अपने -2 सपनो मे खोया  संसार हैं
 
ये ही तो मानवता का बन रहा गुनाह्गार हैं
धर्म के लिए मानव पर हो रहे जो अत्याचार हैं
 
अपने-2 विचारो से सब हो रहे दुनिया मे लाचार हैं
अपने -2  सब प्रसार कर रहे जो विचार हैं
 
इंनके विचारो मे अत्याचार भी, अछ्छे विचार हैं
इसलिए दुनिया मे आ रहे नए-2 विकार हैं
 
कोरोना तुमने दिखाया करने को बहुत ओर विचार हैं
हे मानव तुम्हारे से नही चल रहा ये संसार हैं
 
जिस तरफ कभी सोचा ही नही आया वो विचार हैं
अब साफ सफाई कि चारो ओर लगी जो कतार हैं
 
अब विचार आ रहा कि जरुरत हमारी कुछ ओर हैं
अब बस अपने आप को बचाने का शोर चारो ओर हैं
 
हर मर्ज कि दवा बनाता आया रे संसार हैं
पर कोरोना ने फेल किया ये सारा संसार हैं
 
इशके आगे नतमस्तक हुई बडि.-2 सरकारे हैं
अब   हथियार नही, अछ्छे होस्पिट्लो कि दरकार हैं
 

रंग जिंदगी मे भरते चलो | Hindi मे Kavita | Devinder Gujjar | रंग बिरंगी दुनियां












रंग जिंदगी मे भरते चलो
रंग जिंदगी मे बदलते चलो.
 
जब कोई रंग हो जाये बदरंग
उस रंग को बदलते चलो
...रंग जिंदगी मे भरते चलो
 
गमो के घावो को
भ्रम के तावो को
खुशियो के भावो को
एक रंग मे रंगते चलो
...रंग जिंदगी मे भरते चलो
 
सपनो कि छाव मे
सहर या गाव मे
चलने कि नाव मे
तुम समय के हिशाब से 
....रंग जिंदगी मे भरते चलो
 
जब छुट जाए अपनो का साथ
जब दे जाए दोस्ती हमे मात
जब किस्मत दिखा जाऐ अपनी जात
जब नऐ  रंग अपने सपनो मे भर्ते चलो
.... रंग जिंदगी मे भरते चलो
 
जब भी हो निराशा अपने जिवन से
जब भी हो निराशा अपने काम से
जब भी हो निराशा अनने नाम से
तब अपने जिवन के रंग बदलते चलो
....रंग जिंदगी मे भरते चलो
 
जब भी सपने टुट जाए अपने
जब भी पिछे छुट जाए अपने
जब भी याद आते जाए अपने
तब जीवन के रंग बदलते चलो
....रंग जिंदगी मे भरते चलो
 
जब जीवान के पुरे हो जाए रंग
जब जीवन मे साथ चलने को ना हो संग
जब जीदगी मे ना रहे कोई जंग
तब  रंग अपने जीवन मे भरते चलो