कर्म और धर्म

 

कर्म और धर्म पर चलती आई  ये दुनियां सारी

चाहे फ़ीर किसी भी धर्म का हो, जीवन धारी


कर्म जैसा करोगे,

कलयुगी इस जीवन में -

फल वैसे ही आगे चल कर पाओगे


अगर बीच राहो में, जाने अनजाने

कर कोई जाओ, कुछ धर्म का काम

तो फ़ीर बदल सकते, हमारे कर्मो के फल है

नही तो भुगतने करम आज नही तो कल हैं


धर्म कर्म सें, धार्मिक बन जाते जो विचार है

विचारों सें बनते, जीवन जीने के संस्कार है


संस्कार बनाते समाज के विचार है

विचारों सें चलता ये संसार  है


दुनिया मे जितने भी धरम आए हैं 

सब  एक विशेष जगह से ओर एक विशेष विचार से आए हैं


आज के करम कल पर असर डालते आए हैं 

आज के विचार कल एक जेसे कभी नही पाए हैं 


करम धर्म सदा से चाल्ते आए हैं -

पहले धर्म - करम का दिखवा नही होता था 

अब करम से ज्यादा धरम को मानने का दिखावा ज्यादा करते हैं 












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