बापु मेरे, तेरी कही, एक -2 बात, जब तक समझ आई-
मची चारो ओर दुहाई स ( टेक -
तु जब ते ग्या ,छोड.हमे स्वर्ग धाम, बापु मेरे, तेरे बीना घर तेरा,ये हुआ सुनसान स
बेसक तु पडा खाट मे था, घर ये तेरा रहता चेहचाह्ट मे था -2
एक मिलके जाता ,दो मिलन आ जाते थे, सब अपने -2 विचार बताया करते ?
बापु मेरे, तेरी कही- एक -2 बात याद आवे स
तेरे विचारो मे, निद ना आती, सारी -2 रात स
बापु तेरे नोते जो आवे , वो पुरे कर दु , मेरे लिये ये ही बहुत बडि. बात स
बात जब तक समझ आई-, मची चारो ओर दुहाई स
अब तो कोई गल्ती ते, ही घर आ जाया कर्ता स
वो तेरा हुक्का ओर कली, एक कोणे मे धरे , पिवणिये की देखे, जावे बाट स
तु के ग्या , चाली गई महारी चोधराहट स
आणे जाणे वालो की, अब तो कदे -2 होती आहाट से
बापु मेरे, तेरी कही, एक -2 बात-जब तक समझ आई-
मची चारो ओर दुहाई स ( टेक -
बापु, सुनी पडी,तेरी वो बेठक स , आनीए जाणिए की देखे जा बाट स -2
बापु मेरे ,तेरा ये पोता भी, अब बण ग्या ,फोजी स
,एक साथ तीन पीढि ,फोजि बन गई तेरी स
कोई कमी स तो, बस कमी एक तेरी स
अब तो, तेरे पोते के, रिस्ते भी आते, अनेक स
अब तेरे बिना, नही कोई ,जल्दी ब्याह कि, स
एक एक कही बात तेरी हो रही - साची स
दर-2 के भटके हो गए, जो बात कहे कर्ते कच्ची थे
अपना पेट भी,नही भर पा रहे वो नीक्कमे स,
तेरे बताए रास्ते पे, कदमचल रहे,मेरे, अभी नहि थमे स
बापु मेरे, तेरी कही, एक -2 बात- सच हो रही स
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