भारत देश को क्या से क्या बना दिया? । हिंदि कविता देविंद्र गुज्जर्। भारत देश नेताओ के कितने भेस । मेरा भारत देश ।

 

जिस देश को गुलामी से आजादी के नाम पर दो भागो मे काट दिया
जब दो हिस्सओ मे बांट दिया फिर हमारे हिस्से मे क्यो बंदर बाट किया

   


 
जिस देश को गुलामी से आजादी के नाम पर दो मुल्को का रूप दिया
एक को तुमने जिसे मुस्लिम देश जिसे   पाकिस्तान बना दिया  
फिर हिंदुओ के हिस्से का वो देश कहां पर  तुमने छुपा दिया
सच्च बताओ क्यो तुमने हिंदुओ को इतना बाडा दगा दिया
 
दुसरे को बस नाम का ही हिंदुस्तान बना दिया गया?
अंग्रेजो ने छोडा.एक परिवार ने गुलाम अपना बना दिया
किसी को पता ही ना चला कब देश का का धर्म ही मिटा दिया
जो आजादी के मतवाले उंनका ईतिहास ही तुमने छुपा दिया
 
जो थी जनता उसे आजाद बता अपने 2 काम लगा दिया
जो कोई थे जानकार उनको ताकत के दम पे दबा दिया
जो देश मे किया उसी पर सिर्फ अपने परिवार का ना लिखा दिया 
जो किया इनके परिवार ने बस वो ही किताबो मे लिखवा दिया
 
हमसे दगा करने कि नियत देखिए हमारे धर्म के मार्ग को ही मिट दिया
हमारी नसलो के दिमाग मे हमारे देश का कोई धर्म नही ये  बेठा दिया
हमारे धर्म कर्म के जो थे संस्थान उनका कानून बना महत्व मिटा दिया
हमारे बिच जो रह गए अल्प मत वाले उनका वजुद कानूनी बना दिया
 
हम फिर भी ईतने भोले कि हमने इन्हे पकका राजा ही बना दिया
हम-2 मे खोए रहे हमारे धर्म का वजुद मिटाने का माहोल बना दिया
हमारे सारे ग्रंथो को इन्होने लिखित रूप मे दे काल्पनिक बता दिया
हमे कुछ तो ये बताए हमारे घर मे इन्होने हमारा ही क्या रूप बना दिया
 
जिस देश कि नीव ही धर्म के नाम पे पडि. उसकी पहचान को बदल दिया
जिस देश मे 80% हिदु धर्मी फिर भी उस देश का धर्म इन्होने मीटा दिया
जिस देश मे  सब धर्मो को फेलाने कि आजादी हमारी को कम करा दिया
जिस देश मे एक था धर्म उसमे  आर्कक्षण का जहर आपस मे फेला दिया
 
आपस मे बेर का जहर दे फिर गुलाम अपना हमे बना दिया गया
जहां कही भी देखो तुमने धर्म ओर जाति के नाम पर लडा दिया
फिर भी हमारी नादानी देखो तुम्हे समझने मे 50 साल लगा दिया
अब कहते घुम रहे तुमने जाने किस अग्यानी को कुर्सी पर बेठा दिया
 
तुम्ने तो अब अपना असली रूप जनता को दिखा दिया
तुम्हारे अंदर का हिंदु विरोधि रूप सबके सामने जता दिया
तुम्हारे अंदर सत्ता का लाल्च भरा हुआ ये तुम्ने बता दिया
तुमने 370,35ए ओर सी.ए.ए का विरोध कर तुम कोन ये बता दिया

दिल कि तमन्ना : होती कभी नही पुरी हैं, DIL KI TAMANNA, तमन्ना




जो तमन्ना दिल कि पुरी  वो करने कि लगाए जाता दोड. हैं
जो तमन्ना किसी ओर की उसे पुरा करने कि करते होड. हैं

दिल का क्या ये तो दल-बदलु  पल मे बदल जाता हैं
दिल को जो पशंद आ जाए ये उसी तरफ हो जाता हैं 

पशंद का ना करे  ये पल मे ही हम से नाराज हो जाता हैं
पशंद का हो जाए ये पल मे प्यार का आगाज कर जाता हैं

 
समय के साथ -2 इसकी भी पशंद बदलती जाती हैं
समय के साथ -2 ईसकी नई पशंद बनती जाती हैं

बचपन मे खेलते ही रहना इसको जो पशंद आता रहा हैं
बचपन जो गुजरा तो खेलना अब इसको पशंद नही आ रहा हैं

 
जवानी मे दिल की तम्न्ना कुछ अलग ही हो जाता हैं
जवानी मे दिल की तम्न्ना कुछ ठोश होती जाती हैं
 
जेसे-2 जिंदगी बढती जाती दिल कि तम्न्ना बदलती जाती हैं.
जब बच्चे हो जाते तो अपनी तम्न्ना को हम भुलते जाते हैं
 
फिर बच्चे ही हमारे दिल कि तम्न्ना बनते जाते  हैं
फिर हम बच्चो कि तम्न्ना को ही पुरा करते जाते हैं
 
जब बच्चे अपने- अपने जिवन  मे कामयाब हो जाते हैं
फिर अपने दिल को भगवान की प्र्राथना कारने लग जाते हैं
 
इस तरह हम अपनी तमन्नाओ को पल पल बदलते जाते हैं
      नही मरने कि तमन्ना लिए इस दुनिया से भी चले जाते हैं

          "जय हिंद"