मन का मोह । समय के साथ बद्ल जाता हैं । हिंदि me कविता । Devinder Gujjar । मन मोहक सफर जीवन का ।




 


मन का मोह समय के साथ बद्ल जाता हैं
ये बचपन मे कुछ ओर होता हैं
ये लड.क्पन मे कुछ ओर हो जाता हैं
ओर ये जावनी आते-2 बिलकुल बदल जाता हैं
.....समय कि मार से बदलता जाता हैं.
 
जींदगी के सफर मे थफोडे खा-2 ये बदलता जाता हैं.
ज्यो-2 समय निकलता जाता ये बदलता जाता हैं
..ये समय कि मार से बदलता जाता हैं.
 
जवानी के दिनो मे ये एक जगह नही रूक पाता हैं
कभी प्यार का मोह, तो कभी यार का मोह आता हैं
...ये समय कि मार से बदलता जाता हैं.
 
फिर येअपने परिवार के मोह मे पड. जाता हैं
मन का मोह बुढापा आने तक बदलता जाता हैं
...ये समय कि मार से बदलता जाता हैं.
 
बुढापा आते ही ये विराम लगाने लग जाता हैं
अब ये चाह कर भी नही बदल पाता हैं
..ये समय कि मार से बदलता जाता हैं.
 

kya कोरोना प्रकर्ति का विचार । कोविड-19 पर कविता हिंदी me । देविंद्र गुज्जर । कोरोना काल मे माहोल ।

 KAVITA: CORONA-3
 



कोरोना महामारी नही एक प्रकर्ति का विचार हैं
कोरोना दुर करने आई हमारे मन का विकार है
 
सब अपने वस मे करने का, मानव को नही अधीकार हैं
हे मानव तुम्हारे उप्पर भी चलती किसी की सरकार हैं
 
आए दिन दुनिया मे जो गलत हो रहे अविश्कार हैं
ये अविश्कार ही तो मानव के बन रहे अह्ंकार है
 
मानव प्रकूति को बदलने की कोशश कर रहा लगातार हैं
ये जो अपने -2 सपनो मे खोया  संसार हैं
 
ये ही तो मानवता का बन रहा गुनाह्गार हैं
धर्म के लिए मानव पर हो रहे जो अत्याचार हैं
 
अपने-2 विचारो से सब हो रहे दुनिया मे लाचार हैं
अपने -2  सब प्रसार कर रहे जो विचार हैं
 
इंनके विचारो मे अत्याचार भी, अछ्छे विचार हैं
इसलिए दुनिया मे आ रहे नए-2 विकार हैं
 
कोरोना तुमने दिखाया करने को बहुत ओर विचार हैं
हे मानव तुम्हारे से नही चल रहा ये संसार हैं
 
जिस तरफ कभी सोचा ही नही आया वो विचार हैं
अब साफ सफाई कि चारो ओर लगी जो कतार हैं
 
अब विचार आ रहा कि जरुरत हमारी कुछ ओर हैं
अब बस अपने आप को बचाने का शोर चारो ओर हैं
 
हर मर्ज कि दवा बनाता आया रे संसार हैं
पर कोरोना ने फेल किया ये सारा संसार हैं
 
इशके आगे नतमस्तक हुई बडि.-2 सरकारे हैं
अब   हथियार नही, अछ्छे होस्पिट्लो कि दरकार हैं