बोली ऐसी बोलिए,
जो करें ना किसी के दिल मे घाव
बोली का घाव, कदे ना भरता से
बोली ही सारे फसाद करें से
पछताना फेर पड़ें से
जब बोली का घाव नहीं भरता से
अब पछताए के हो
जो होना था सो हो गया
समय जाने पर क्या करता है रै
रंक ने पल मैं राजा बना देता हूं रै
समय का क्या कब फिर जावे रै
रोब किंग वाला कब उतरा जा रहा है
जो आँखों का तारा था
जाने कब जान का दुश्मन बन जावे रै
टाइम का तार सारे रिसो का बेरी बन जाता है
सब ते ज्यादा बेरी बोली बनावे रै
जब तक सारे रिसो का सार मै आवे रै
तब तक मैं बहुत दुरी हो जावे रै
कोई नहीं होता जो, ये सब सहन कर पावे रै
इसी के चक्कर में मैं कोई शराबी,
कोई पागल, कोई बागी तो कोई बैरागी हो जावे रै
यों देविंदर फौजी किसी की ना
अपने पेज रेखी वो दिखा जावे स रै
अपना हो या पर समझ नहीं
नहीं आते हैं
समझ जब आती है जब आँखे दिखाती है
बोली ऐसी बोलिए,
जो करें ना किसी के दिल मे घाव