समय किसी को नहीं , लेकिन समय खुद आ जाता हैं अपना हिसाब लेने ?

 

समय किसी को नहीं , 

लेकिन समय खुद आ  जाता हैं 

अपना हिसाब लेने ?

 

हाँ ,एक जो किस्मत मे लिखा है

वो बैठे बैठे भी हो जाता है

लेकिन ये 99 के साथ हो सक्ता हैं

लेकिन ये 1 अपना कर्म से अपनी किस्मत बदल सक्ते हैं 


क्योंकि कर्म कूछ नए ,कूछ पुराने होते है

जिनका अच्छा हो जाए तो, 

 हॅसते और बुरा हो जाए तो रोते है


साँसो का चलना और रुकना विधान पर है

लेकिन जो जीवन चाहिए

उसके लिए कर्म जरुरी है


कर्म और किस्मत दोनों सही हो

तो फल सही मे सुकून देता है


नही  तो,

किस्मत को, दोस देना होता ही, है


विक्की प्रधान -


कोशिस की इसने फल जो यें पाया है

लेकिन कोशिस के साथ पुराने कर्मो और

अपने नसीब से यें निर्विरोध बन पाया 

जो थे इसी तरह की दौड़ मे

 

उन्होने अपने आप को और

परिपक करने का मौका दिलाया है?


सारे काम, अपने आप के लिए, नहि होने चाहिए

कुछ भविस्य के लिए - भी कर्ना चाहिए 

ऐसे काम ही आगे चल्कर अपने आप आपका साथ देते हैं

ओर वो करमो का काम करते हैं


समय एक जेसा नही होता - बदल्त  रहता हैं

तो तुमहे भी एक जगह नही रुकना चाहिए ?


बाद मे कम समय होने कि सिकायत  होती हैं

लेकिन समय काफी होता हैं 

हम समय को खराब कर देते हैं 

गलत जगह ओर गल्त रास्ते पर 


अंत समय मे  सब कि, आखो के सामने 

जिवान के सभी करम , सामने आते हैं

फिर वो सोचता हैं कि क्या गल्त किया क्या सही किया?

इसे हि कहते हैं की भग्वन  हिसाब लेता हैं ?


बोली का घाव, कैसे भरे रे

 बोली ऐसी बोलिए,

जो करें ना किसी के दिल मे घाव 


बोली का घाव, कदे ना  भरता से 

बोली ही सारे फसाद करें से 

पछताना फेर पड़ें से


जब बोली का घाव नहीं भरता से 

अब पछताए के हो

जो होना था सो हो गया

समय जाने पर क्या करता है रै

रंक ने पल मैं राजा बना देता हूं रै 

समय का क्या कब फिर जावे रै

रोब किंग वाला कब उतरा जा रहा है

जो आँखों का तारा था

जाने कब जान का दुश्मन बन जावे रै


टाइम का तार सारे रिसो का बेरी बन जाता है

सब ते ज्यादा बेरी बोली बनावे रै


जब तक सारे रिसो का सार मै आवे रै

तब तक मैं बहुत दुरी हो जावे रै


कोई नहीं होता जो, ये सब सहन कर पावे रै

इसी के चक्कर में मैं कोई शराबी, 

कोई पागल, कोई बागी तो कोई बैरागी हो जावे रै


यों देविंदर फौजी किसी की ना

अपने पेज रेखी वो दिखा जावे स रै

अपना हो या पर समझ नहीं 

नहीं आते हैं

समझ जब आती है जब आँखे दिखाती है 


बोली ऐसी बोलिए,

जो करें ना किसी के दिल मे घाव