हिन्दि me कविता । मोसम कि खबर । देविन्द्र ग़ुज्जर्। ताजा खबर मोशम कि । अपनी इस दुनियां कि खबर |

 Kavita : Mousam Ki Khabar
 कविता : मोसम कि खबर 

मोसम कि खबर रखा करो, ये बदल जाएगा

जब बदल जायगा, तो अफशोश आयेगा
 

समय कि भी खबर रखा करो,ये भी बदल जाएगा
जब ये नीकल गया तो फिर ना लोट कर वापस आएगा
समय कि कर्वट से मोशम बदल जाएगा
मोसम के बदलने से, मन भी खिल जाएगा
 .…मोसम कि खबर रखा करो, ये बदल जाएगा
 
मोसम ओर समय की खबर नहि होने पर
सामना परेशानियो का होता जाएगा
जो हमे अपने रास्ते से हिलाना चाहेगा
पर हमे ग्यान इनका हो तो कोई असर ना हो पाएगा
.…मोसम कि खबर रखा करो, ये बदल जाएगा
 
ये दोनो ना जाने कब बदल जाएगे
जो बदल गए ना लोट कर आएगे
हम अफ्शोश करते रह जायेगे
पर ये लोट कर ना ला पाएगे
..मोसम कि खबर रखा करो, ये बदल जाएगा
 
मोशम बद्ले नजारे बदल जाएगा
धूप मे भी अंधियारे नजारे हो जाएगा
बहार मे नजारा बदल जाएगा
समय बदले अपना भी किनारा बदल जाएगा
..मोसम कि खबर रखा करो, ये बदल जाएगा
 
एक समय मे मोसम हिंदुस्तान का अलग-2 होता
कहि पर गर्मि, कही पर बर्फ गिर्ता होता
कहि पर बाढ, कहि पर रेगिस्तान का सुखा होता
कुछ दुरि मे ही अलग-2 नजरा नजर आएगा
..मोसम कि खबर रखा करो, ये बदल जाएगा
 
समय अछ्छे अछछो मे बद्लाव लाएगा
राजा को रंक, रंक को राजा बना जाएगा
अछ्छे अछ्छो को उनकी ओकात दिखाएगा
जो इसके अनुशार चलते उन्हे आगे ले जाएगा
..मोसम कि खबर रखा करो, ये बदल जाएगा

हिंदि कविता । कोन तुम्हे चाहाता हैं । चाहत दिल कि। देविंदर गुज्जर । कितना हमे कोई चाहे ?

कविता :  Kon tumhe chahata ye mansha se pata lag jaata hain

 कोन तुम्हे चाहाताये मन कि मंशा से पता लग जाता हैं 

 कोन तुम्हे चाहाता, ये कुछ दिनो मैं पता लग जाता है

  कोन तुम्हे बिना मतलब, फोन करके आता हैं
कोन तुम्हे मिलने, बिंना मतलब घर आता हैं

...कोन तुम्हे चाहाता, ये मन मंशा से ही पता लग जाता हैं

 


कोन तुम्हे चाहाता, वो तो अपनी जरुरत पुरी करने आता हैं
कोन तुम्हे उसकी जरुरत के समय ही, सामने नजर आता हैं
   ...कोन तुम्हे बिना मतलब, फोन करके आता हैं
 
सब मतलब के साथी, कोई ना साथ अपने जाता हैं
सब जिते जी का बसेरा, साथ ना कुछ जाता हैं
   ...कोन तुम्हे चाहाता, ये मन मंशा से ही पता लग जाता हैं
 
सब जनते हुए भी, ना कोई इंसे पिछा छुडा.ता हैं
क्योकि वो भी अपनी मंशा पुरी, करना चाहाता हैं.
  ... कोन तुम्हे बिना मतलब, फोन करके आता हैं
 
बेटा बापु के वंश कि मंशा के लिए दुनिया मे आता हैं
बेटी का जन्म तो, बस बेटे कि चाह मे हो जाता हैं
   ...कोन तुम्हे चाहाता, ये मन मंशा से ही पता लग जाता हैं
 
घर मे जो आता जाता बेटे की तमन्नाओ को पुरा कर जाता हैं पर
घर मे जो आता जाता बेटी की तमन्नाओ को छोटा कर जाता हैं
   ....कोन तुम्हे बिना मतलब, फोन करके आता हैं

भाई बहन सब बचपन मे प्यारे, जवानी आते 2 सब बदल जाता हैं
भाई बहन के प्यार, अपना मतलब आते ही जहर मे बदल जाता है
   ...कोन तुम्हे चाहाता, ये मन मंशा से ही पता लग जाता हैं
 
जो भाई, भाई के लिए, अपनी जान छिड.कता आता हैं
वो ही भाई, भाई से ,अपनी जान छुडा.ता नजर आता हैं
    ...कोन तुम्हे बिना मतलब, फोन करके आता हैं
 
छल की दुनिया मे, जो इस खेल को समझ नही पाता है
छ्ला जाने के बाद भी दुनिया मे किसी को नही बता पाता हैं.
   ...कोन तुम्हे चाहाता, ये मन मंशा से ही पता लग जाता है
 
जब तक ये खेल उसकी समझ मे आ पाता हैं
जब तक वो इस खेल मे काफी पिछे रहा जाता हैं
   .कोन तुम्हे 
बिना मतलब, फोन करके आता हैं