बोली का घाव, कैसे भरे रे

 बोली ऐसी बोलिए,

जो करें ना किसी के दिल मे घाव 


बोली का घाव, कदे ना  भरता से 

बोली ही सारे फसाद करें से 

पछताना फेर पड़ें से


जब बोली का घाव नहीं भरता से 

अब पछताए के हो

जो होना था सो हो गया

समय जाने पर क्या करता है रै

रंक ने पल मैं राजा बना देता हूं रै 

समय का क्या कब फिर जावे रै

रोब किंग वाला कब उतरा जा रहा है

जो आँखों का तारा था

जाने कब जान का दुश्मन बन जावे रै


टाइम का तार सारे रिसो का बेरी बन जाता है

सब ते ज्यादा बेरी बोली बनावे रै


जब तक सारे रिसो का सार मै आवे रै

तब तक मैं बहुत दुरी हो जावे रै


कोई नहीं होता जो, ये सब सहन कर पावे रै

इसी के चक्कर में मैं कोई शराबी, 

कोई पागल, कोई बागी तो कोई बैरागी हो जावे रै


यों देविंदर फौजी किसी की ना

अपने पेज रेखी वो दिखा जावे स रै

अपना हो या पर समझ नहीं 

नहीं आते हैं

समझ जब आती है जब आँखे दिखाती है 


बोली ऐसी बोलिए,

जो करें ना किसी के दिल मे घाव 




मत कर बन्दे गुमान

मत कर बन्दे गुमान 

नही तेरी ये जान , ना तेरा ये जहाँन 


1 उप्पर  वाले ने , हमे बनाया इनसान 

हम बना बेठे  पक्के मकान 

वेभव ओर पेसे कि लगा बेठे दुकान 

इसके चक्कर मे, भुल बेठे भगवान 


मत कर बन्दे गुमान 

नही तेरी ये जान , ना तेरा ये जहाँन 

 2 भुल गए  दुनिया,  4 दिन का ये बसेरा 

    इसमे तु करने लगा - तेरा मेरा 

    भुल ग्या - कया कर्म मेरा 

    क्या धरम मेरा 


मत कर बन्दे गुमान 

नही तेरी ये जान , ना तेरा ये जहाँन 

3.  क्यो गल्त करम कर 

  -बना रहा  आने जाने का फेरा

   ना कुछ तेरा ना , मेरा स - ये सब समय का फेर स 

   कुछ कर ले समय पे, होना ये सरिर  ढेर स 


मत कर बन्दे गुमान 

नही तेरी ये जान , ना तेरा ये जहाँन 

4. उप्पर वाले ने बनाया - मुहमाया का जाल स 

    जो इस्से निकल ग्या, उसने  खतम कर काया की माया स 

   उसने राम नाम मे , मन अपना जो लगाया 

    पा ग्या ब्रहामा के चारनो मे मान स 

मत कर बन्दे गुमान 

नही तेरी ये जान , ना तेरा ये जहाँन