कविता जीवन की

 कविता जीवन की,

 poems, kavita jivan ki


कविता जीवन की बनती गई

ज्यो 2 जीवन की लाइन बढ़ती गई


ज्यो ज्यो जीवन लीला बनती गई

ज्यो 2 यादो की लाइन बनती गई

कविता जीवन की बनती गई


यादो मे,  वादों मे, इरादों मे चाह बदलती गई

कही कही तो, हर चाह मेरी बदलती गई

कविता जीवन की बनती गई


बचपन मे प्यार की माया होती गई

जवानी आते आते दोस्तो की कहानियाँ बनती गई

अपनों की बोली घाव करती गई

कविता जीवन की बनती गई


पल पल की कल कल मे

रिस्तो की सूरत दिखती गई

जों थी अपने पन वाली राह

वो धिरे 2  बंद होती गई

कविता जीवन की बनती गई


समय क़े बदलाव मे,

जीवन क़े सारे रिश्ते बदलते गए

जों थे साथ जीने मरने को तैयार

वो ही रास्ता अपना बदलते गए

कविता जीवन की बनती गई


क्यो समझदार इसे मोह माया बताते आए

अब आके जीवन क़े आखिरी मोड़ पर, समझ हम पाए











मौशम, मौशम, की बात है




होती  मौशम, मौसम की बात है

  

 किसी मौसम  मे होती तेज-2 बरसात है

 तो किसी मौसम  मे होती नही  बरसात है


होती  मौशम, मौसम की बात है....


किसी मौसम   मे चलती तेज गर्म हवाए

तो किसि मौसम   मे बहती सर्द हवाए 

तभी तो कहते ,होती  मौशम, मौसम की बात है....


किसी मौसम मे होतीं तेज बारिश

किसी मौसम मे चलती तेज आधी है

किसी मौसम मे, तरस जाते धुप को

किसी मौसम मे जला  देने को होती धुप है 

तभी तो कहते ,होती  मौशम, मौसम की बात है....


किसी मौसम  मे, सब बारिश से तबाह हो जाए

किसी मौसम  मे, बिना बारिस तबाह हो जाए

किसी मौसम मे, बर्फ गीर गीर सब को सताए जाती हैं

किसी मौसम  मे , देख नजारा मन खिल -2 जाता हैं

तभी तो कहते ,होती  मौशम, मौसम की बात है....