समय कि रफ़्तार

 समय कि रफ़्तार अपनी रफ़्तार से चलती रहती है

ओर ज्यो 2 उम्र बढ़ती जाती है

रफ़्तार हमारी घटती चली जाती है

ओर अरमानो कि सरकार बनती चली जाती है 


बचपन मे समय कि तेजी का पता नहीं रहा है

इसलिए बस बचपन को ही दिल से जिया है

समय के साथी, अरमान बनते चले आए है

ओर ज़्यादा ही दुनिया के रिस्तो नातो मे फसते आए है


बचपन मे हर रिस्ता प्यार वाला बना रहा है

ओर ज्यो 2 बढ़ते चले गए, रिश्तो के मतलब भी

मोहमाया मे फसते आए है

बचपन के नाद रफ़्तार खूब बधाई लेकिन

घर ओर चाह के मोहमाया जाल ने निकलने 


कविता जीवन की

 कविता जीवन की,

 poems, kavita jivan ki


कविता जीवन की बनती गई

ज्यो 2 जीवन की लाइन बढ़ती गई


ज्यो ज्यो जीवन लीला बनती गई

ज्यो 2 यादो की लाइन बनती गई

कविता जीवन की बनती गई


यादो मे,  वादों मे, इरादों मे चाह बदलती गई

कही कही तो, हर चाह मेरी बदलती गई

कविता जीवन की बनती गई


बचपन मे प्यार की माया होती गई

जवानी आते आते दोस्तो की कहानियाँ बनती गई

अपनों की बोली घाव करती गई

कविता जीवन की बनती गई


पल पल की कल कल मे

रिस्तो की सूरत दिखती गई

जों थी अपने पन वाली राह

वो धिरे 2  बंद होती गई

कविता जीवन की बनती गई


समय क़े बदलाव मे,

जीवन क़े सारे रिश्ते बदलते गए

जों थे साथ जीने मरने को तैयार

वो ही रास्ता अपना बदलते गए

कविता जीवन की बनती गई


क्यो समझदार इसे मोह माया बताते आए

अब आके जीवन क़े आखिरी मोड़ पर, समझ हम पाए