बापु मेरे, तेरी कही, एक -2 बात-2

 

बापु मेरे, तेरी कही, एक -2  बात,     जब तक समझ  आई-

 मची चारो ओर दुहाई स       ( टेक - 


तु  जब ते  ग्या ,छोड.हमे स्वर्ग धाम,     बापु मेरे, तेरे बीना घर तेरा,ये हुआ सुनसान स

बेसक तु पडा खाट मे था, घर ये तेरा रहता चेहचाह्ट मे था -2


एक मिलके जाता ,दो मिलन आ जाते थे, सब अपने -2 विचार बताया करते ?

बापु मेरे, तेरी कही- एक -2 बात  याद आवे  स


तेरे विचारो मे, निद ना आती, सारी -2 रात स 

बापु  तेरे नोते  जो आवे , वो पुरे कर दु , मेरे लिये ये ही बहुत बडि. बात स 


 बात जब तक समझ  आई-, मची चारो ओर दुहाई स 

अब तो कोई गल्ती ते, ही घर आ जाया कर्ता स 

वो तेरा हुक्का ओर कली,  एक कोणे मे धरे , पिवणिये की देखे, जावे बाट स 


तु के ग्या , चाली गई महारी चोधराहट स 

आणे जाणे वालो की, अब तो कदे -2 होती आहाट से


 बापु मेरे, तेरी कही, एक -2  बात-जब तक समझ  आई-

 मची चारो ओर दुहाई स       ( टेक - 


बापु, सुनी पडी,तेरी वो बेठक स , आनीए जाणिए की देखे जा बाट स -2


बापु मेरे ,तेरा ये पोता भी, अब बण ग्या ,फोजी स 

,एक साथ तीन पीढि ,फोजि बन गई तेरी स 

कोई कमी स तो, बस कमी एक तेरी स


अब तो, तेरे पोते के, रिस्ते भी आते, अनेक स 

अब तेरे बिना, नही कोई ,जल्दी ब्याह  कि, स 


एक एक कही बात तेरी हो रही - साची स 

दर-2 के भटके हो गए, जो बात कहे कर्ते कच्ची थे 


अपना पेट भी,नही भर पा रहे वो  नीक्कमे स, 

 तेरे बताए रास्ते पे, कदमचल रहे,मेरे, अभी नहि थमे स 


बापु मेरे, तेरी कही, एक -2  बात-  सच हो रही स 










कर्म और धर्म

 

कर्म और धर्म पर चलती आई  ये दुनियां सारी

चाहे फ़ीर किसी भी धर्म का हो, जीवन धारी


कर्म जैसा करोगे,

कलयुगी इस जीवन में -

फल वैसे ही आगे चल कर पाओगे


अगर बीच राहो में, जाने अनजाने

कर कोई जाओ, कुछ धर्म का काम

तो फ़ीर बदल सकते, हमारे कर्मो के फल है

नही तो भुगतने करम आज नही तो कल हैं


धर्म कर्म सें, धार्मिक बन जाते जो विचार है

विचारों सें बनते, जीवन जीने के संस्कार है


संस्कार बनाते समाज के विचार है

विचारों सें चलता ये संसार  है


दुनिया मे जितने भी धरम आए हैं 

सब  एक विशेष जगह से ओर एक विशेष विचार से आए हैं


आज के करम कल पर असर डालते आए हैं 

आज के विचार कल एक जेसे कभी नही पाए हैं 


करम धर्म सदा से चाल्ते आए हैं -

पहले धर्म - करम का दिखवा नही होता था 

अब करम से ज्यादा धरम को मानने का दिखावा ज्यादा करते हैं