FOJI HOON MAIN MERI GAATHA SUNAAATA HOON
एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।
कोई कवि नही मैं अपने मन कि व्यथा सुनाता हूँ
अभी तक जवानी की दहलिज पर नही पहुच पाया हूँ
पर मे देश कि दहलिज पर जवान बन पहुच जाता हूँ
पवित्र ग्रंथ कि सपथ ले जब मैं सैनिक जीवन अपनाता हूँ
जो मुझे आदेश मिलेगा उसे पुरा करने मैं कस्म खाता हूँ
....एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।
पुरा जीवन मैं उस कस्म पुरा करने मे लगे रह जाता हूँ
पुरा जीवन मैं घर ओर ड्युटी मे तालमेल नही बिठा पाता हूँ
कोई कैसे भी जिए जीवन पर मैं अपना सैनिक जीवन जीए जाता हूँ
कोई जरुरत पडे. तो मैं सुहाग रात छोड.पहले सैनिक धर्म निभाता हूँ
एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।
पर मे देश कि दहलिज पर जवान बन पहुच जाता हूँ
पवित्र ग्रंथ कि सपथ ले जब मैं सैनिक जीवन अपनाता हूँ
जो मुझे आदेश मिलेगा उसे पुरा करने मैं कस्म खाता हूँ
....एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।
पुरा जीवन मैं घर ओर ड्युटी मे तालमेल नही बिठा पाता हूँ
कोई कैसे भी जिए जीवन पर मैं अपना सैनिक जीवन जीए जाता हूँ
कोई जरुरत पडे. तो मैं सुहाग रात छोड.पहले सैनिक धर्म निभाता हूँ
अपने ग्रह्थ जीवन मे सायद ही मैं सकुन पाता हूँ
पर देश सेवा के बिच मे मैं इसे कभी नही लाता हूँ
मेरी जीवन गाथा मे मैं प्रितम प्यारी का बहुत रिणी हो जाता हूँ
इसके त्याग़, संतोश भाव के कारण ही मैं अपनी ड्युटी करता जात हूँ
...एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।
पर देश सेवा के बिच मे मैं इसे कभी नही लाता हूँ
मेरी जीवन गाथा मे मैं प्रितम प्यारी का बहुत रिणी हो जाता हूँ
इसके त्याग़, संतोश भाव के कारण ही मैं अपनी ड्युटी करता जात हूँ
...एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।
जब कई -2 महिने बाद घर मैं जब आता हूँ
अपने बच्चो के लिये ही मैं अजनबी बन जाता हूँ
एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।
कई बार जब मैं मोत को हरा कर आता हूँ
ओर कई बार जब मैं मोत को हरा नही पाता हूँ
ये महोल हर रोज जब मैं मेरे पास पाता हूँ
अपने ही दिल से पुछो कैसे ----
-मैं अपने अर्मानो से पहले देश को रख पाता हूँ
...एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।
कोई मेरे काम पर सवाल उठाए, सबुत मांगे ये मैं नही देख पाता हूँ
पर देख ये दोगलापन मेरे साथी अंदर ही अंदर जल-2 जाते हैं
पर फिर भी मैं अपने देश के लिये सब सहन करता जाता हूँ
....एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।
अपने चारो ओर बस मैं देश के कानून का फन्दा पाता हूँ
जब मुझे सहिद होने पर अपने घर पहुचाया जाता हूँ
जनता ओर कानून का झुठा सैनिक प्रेम देख रो नही पाता हूँ
....एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।
जनता ओर सरकार को बस इतना कहना मैं ये चाहाता हूँ
जिंदा रहने पर मैं कुछ इज्जत अपनी देखना चाहाता हूँ
..एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।
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