जीवन एक एक पल, जाने क्यो रंग बदलता है।
या फिर इसकि यही फितरत हैं
या फिर यही वो हैं जिसका नाम कुदरत हैं?
जब हम बिल्कुळ बालक थे तो बहुत बेफिक्र थे
जीवन मे बहुत तरह के रंग भरे थे
जेसे जेसे उम्र बढी जीवन के रंग भी बदलने लगे थे ।
अब जिवन मे, रंगो के साथ विचारो मे भी रंग अलग अलग बनने लगे ?
जवानी जाने कब आ गई ओर वो अलग हि रन्ग भर लाई
16 कि उमर मे हि हमे बना दिया देश का सिपाही
अब जीवन के रंग एसे बद्ले कि जिवन केवल तिन रंगो मे रंग गया
एक अपने घर , दुसरी बाहर कि दुनिया, के साथ ये तिसरी दुनिया सामने आ गई
अब अलग हि दुनिया के रंग जिवन मे आ गए
यहाँ पर दुशमन को मारने के लिए ,
रोज नई नई तर्तिब सिखाई जाती थी
यहाँ पर दुशमनो कि जान लेना कोई जुरम नही था
इस रंग मे खुब रंगा मैं, ओर केसे 17 साल बीत गए?
पता हि नहि चला मुझे ?
अब मैं बेटे से बाप बन गया था ?
अब जीवन के रंग फिर बदल गए
जीवन मे जीवन संगीनी आ गई थी
अब अकेले नही उसके बारे मे भी सोचना होता था ?
मैं देव इंद्र से कृशन बन गया था?
अब लडने के साथ प्यार भी जताना होता था ?
जीवन मे अब एक साथ कई रास्ते चलना होता था ?
एक सेना का राशता
दुसरा समाज का रास्ता
तिसरा विवाहिक रास्ता
तिनो के रंग बिल्कुल अलग अलग थे ?
एक ओर
सेना के कडे रूल ओर फिर मोज मस्ती के पल
आज जी लो जाने फिर आए या ना आए कल ?
दुसरि ओर
समाज ओर इस दुनिया के रंग
जो केवल मतलबी रंग
जाने कब रंग बदल दे कोई पता नही ?
तिसरा ओर
वो रंग जो बेहद हि रंगिला बना रहा ?
पहले पहले जब बच्चे छोटे थे ?
तब छुट्टी आते तो - इनके लिए अंजाने रहते थे ?
जब पता लगता कि पापा हैं तब तक फिर वापिस चले जाते थे ?
सेना के रंग अच्छे थे जो सच्चे रंग होते थे ?
या तो मरना ओर या मारना होता था ?
लेकिन जब घर रहने लगे तो दुनिया के रंगो का पता ही कि क्या रंग हैं?
जब तक पता चलता, रंग हि बदल जाता था?
अब भी पल पल रंग बदल रहा हैं
रंगो को पहचान्ने कि कोसीस करने लग रहा हूँ
जय हिंद, जय भारत
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