यह ब्लॉग खोजें

एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ। हिंदि कविता by देविंदेर गुज्जर। सैनिक जीवन । सैनिक जीवन ओर ये दुनियां


 FOJI HOON MAIN MERI GAATHA SUNAAATA HOON


 

एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।

कोई कवि नही मैं अपने मन कि व्यथा सुनाता हूँ
 
अभी तक जवानी की दहलिज पर नही पहुच पाया हूँ
पर मे देश कि दहलिज पर जवान बन पहुच जाता हूँ
पवित्र ग्रंथ कि सपथ ले जब मैं सैनिक जीवन अपनाता हूँ
जो मुझे आदेश मिलेगा उसे पुरा करने मैं कस्म खाता हूँ
....एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।
 
पुरा जीवन मैं उस कस्म पुरा करने मे लगे रह जाता हूँ
पुरा जीवन मैं घर ओर ड्युटी मे तालमेल नही बिठा पाता हूँ
कोई कैसे भी जिए जीवन पर मैं अपना सैनिक जीवन जीए जाता हूँ
कोई जरुरत पडे. तो मैं सुहाग रात छोड.पहले सैनिक धर्म निभाता हूँ
  एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।

अपने ग्रह्थ जीवन मे सायद ही मैं सकुन पाता हूँ
पर देश सेवा के बिच मे  मैं इसे कभी नही लाता हूँ
मेरी जीवन गाथा मे मैं प्रितम प्यारी का बहुत रिणी हो जाता हूँ
इसके त्याग़, संतोश भाव के कारण ही मैं अपनी ड्युटी करता जात हूँ
...एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।

जब कई -2 महिने बाद घर मैं जब आता हूँ
अपने बच्चो के लिये ही मैं अजनबी बन जाता हूँ
एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।

कई बार जब मैं मोत को हरा कर आता हूँ
ओर कई बार जब मैं मोत को हरा नही पाता हूँ
ये महोल हर रोज जब मैं मेरे पास पाता हूँ
अपने ही दिल से पुछो कैसे ----
-मैं अपने अर्मानो से पहले देश को रख पाता हूँ
...एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।
 
मैं देश के गोरव के लिये अपने आप को मिटा जाता हूँ
को मेरे काम पर सवाल उठाए, सबुत मांगे  ये मैं नही देख पाता हूँ
पर देख ये दोगलापन मेरे साथी अंदर ही अंदर जल-2 जाते हैं
पर फिर भी मैं अपने देश के लिये सब सहन करता जाता हूँ
....एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।
 
जब कभी गलती से मैं छुट्टी पर कोई गलती मे आ जाता हूँ
अपने चारो ओर बस मैं देश के कानून का फन्दा पाता हूँ
जब मुझे सहिद होने पर अपने घर पहुचाया जाता हूँ
 जनता ओर कानून का झुठा सैनिक प्रेम देख रो नही पाता हूँ
....एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।

जनता ओर सरकार को बस इतना कहना मैं ये चाहाता हूँ
जिंदा रहने पर मैं कुछ इज्जत अपनी देखना चाहाता हूँ
..एक सैनिक हुं मैं,सैनिक जीवन गाथा सुनाता हूँ।

मोह माया का जाल क्या तोड पाएगे | Mohmaya kaa jaal | Hindi Kavita | Devinder Gujjar



 मोह माया का जाल क्या तोड पाएगे

जिस दिन हम  छोड. इस दुनिया को धर्म नगरी चले जाएगे
उस दिन छोड. सारे काम दूनिया वाले स्वर्ग धाम हमे ले जाऐगे
जिंदा रहते कोई विचार ना किया वो भी अच्छा हमे बता जाऐगे
जिदा रहते कोई विचार काम ना आया अब क्या काम आऐगे
 
कल्युग इतना बदला कि तीसरे दिन ही हमे भुल जाएगे
पहले कि तरह नही 13 दिन तक नही शोक मनाएगे
 
ये बात अलग कि बच्चे जो छोटे रह जाएगे
उन्हे कोन पालेगा बस जो ये अफ्शोश मनाएगे
 
उम्र हो जाए तो ये कब पिछा छोडे. ये गुहार लगाने लग जाएगे
कुछ ज्यादा कमाई हो तो सोचते कितने ओर  ये जी जाएगे
 
जीते जी हर रिस्ते लूट -2 कर बेशक खाते जाएगे
जब जी ना रहा तो झुटे आशु वो बहा कर दिखाएगे
 
सब को पता की एक दिन सब दुनिया छोड. जाएगे
पर अहंकार जो बसा अंदर नही वो छोड. पाएगे
 
भागदोड. भरी इस दुनियां मे ये एक पल ना रुक पाएगे
चाहे समय जीतना रहे सुख के समय ना प्रभु नाम जप पाएगे
 
भगवान के द्वार जाकर भी वो अपने ओर अर्मान जगाएगे
हे प्र्भु ! हमे ओर दे कुछ फिर तेरे द्वार स्वमं हम आएगे
 
एक बार जो दोड.ने लगे फिर ना ये रुक पाएगे
एक बार भी ये ना संतोश जो मिला उस पर जताएगे
 
धोखे फ्रेब से जो पुरी उम्र कमाया उसे यही पर छोड. जाएगे
जो कमाई लेगे वो कुछ दिनो मे ही याद करना छोड. जाएगे
 
कोरोना के काल मे क्या सब इसी के डर से मरते जाएगे
क्या कोई कैसे भी मरा हो डाक्टर उसे कोरोना ही बताएगे
 
क्या हम कोरोना के जाल से अपनी चाल भुल जाएगे
क्या हम अपनो को यु ही बुरे हाल मे छोड.ते जाएगे

चंडीगढ शहर एक नजर। Chandigrah sahar ek najar । हिंदि कविता । देविंद्र गुज्जर । चंडीगढ शहर के नजारे ।


 
चंडीगढ शहर जब देखा एक नजर
नजर थम जाए हर  डगर-2
 
चंडीगढ शहर के वो सेकटरो के नजारे
वो तरह -2 के  जो दिखते सितारे
 
चंडीगढ शहर मे मिले हमे जो हरियाली के  खुब नजारे
कही रोज गार्ड्न-रोक गार्डन तो कही सुकना झील के नजारे
 
चंडीगढ शहर मे सही मे दिखे प्यार की आजादी के नजारे
जोडे. देखे सुबह शाम सड.को पर प्यार के भरते हुलारे
 
चंडीगढ शहर मे गाडीयो कि हर शाम मे जो लगती कतारे
आखे खुली देख यहां एलट मोल जैसे अनेक जो नजारे
 
चंडीगढ शहर मे सरकारी महकमो के  आफिश बहुत सारे
हरियाणा,पंजाब ओर हिमाचल मे हुकम यही के चलते सारे
 
चंडीगढ शहर मे, प्यार के रोगीयो की लम्बि -2 कतारे
एक से बढ्कर एक हुरो के यहां हुए अजब गजब नजारे



 
चंडीगढ शहर मे हर धर्म के एक से एक बने द्वारे
कही चंडी मंदिर, कहि चर्च,कही मस्जिद,ओर गुरुद्वारे
 
चंडीगढ शहर मे, चंडीगढ रेल्वे स्टेशन के भी सबसे अलग नजारे
एक तरफ चंडीगढ शहर तो दुसरी तरफ पंचकुला शहर के नजारे
 
चंडीगढ शहर मे एक जगह मन के ठहरने के अद्भुत नजारे
एस्कांन मंदिर मे सभी के मन की शांति के खुल्ते जो द्वारे
 
चंडीगढ शहर मे 13 नम्बर सेक्टर के नही मिलते नजारे
वास्तु के हिशाब से चंडीगढ शहर मे सेक्टर जो बने सारे
 
चंडीगढ शहर मे, हर मोड पे पुलिस के होंगे नजारे
जो इस शहर की आबो हवा को लगाते चार सीतारे
 
चंडीगढ शहर मे, हर एक दिल के अर्मा होते पुरे सारे




देविंदेर गुज्जर के ने घुम -2 लिखे अपने विचार सारे

भारत देश को क्या से क्या बना दिया? । हिंदि कविता देविंद्र गुज्जर्। भारत देश नेताओ के कितने भेस । मेरा भारत देश ।

 

जिस देश को गुलामी से आजादी के नाम पर दो भागो मे काट दिया
जब दो हिस्सओ मे बांट दिया फिर हमारे हिस्से मे क्यो बंदर बाट किया

   


 
जिस देश को गुलामी से आजादी के नाम पर दो मुल्को का रूप दिया
एक को तुमने जिसे मुस्लिम देश जिसे   पाकिस्तान बना दिया  
फिर हिंदुओ के हिस्से का वो देश कहां पर  तुमने छुपा दिया
सच्च बताओ क्यो तुमने हिंदुओ को इतना बाडा दगा दिया
 
दुसरे को बस नाम का ही हिंदुस्तान बना दिया गया?
अंग्रेजो ने छोडा.एक परिवार ने गुलाम अपना बना दिया
किसी को पता ही ना चला कब देश का का धर्म ही मिटा दिया
जो आजादी के मतवाले उंनका ईतिहास ही तुमने छुपा दिया
 
जो थी जनता उसे आजाद बता अपने 2 काम लगा दिया
जो कोई थे जानकार उनको ताकत के दम पे दबा दिया
जो देश मे किया उसी पर सिर्फ अपने परिवार का ना लिखा दिया 
जो किया इनके परिवार ने बस वो ही किताबो मे लिखवा दिया
 
हमसे दगा करने कि नियत देखिए हमारे धर्म के मार्ग को ही मिट दिया
हमारी नसलो के दिमाग मे हमारे देश का कोई धर्म नही ये  बेठा दिया
हमारे धर्म कर्म के जो थे संस्थान उनका कानून बना महत्व मिटा दिया
हमारे बिच जो रह गए अल्प मत वाले उनका वजुद कानूनी बना दिया
 
हम फिर भी ईतने भोले कि हमने इन्हे पकका राजा ही बना दिया
हम-2 मे खोए रहे हमारे धर्म का वजुद मिटाने का माहोल बना दिया
हमारे सारे ग्रंथो को इन्होने लिखित रूप मे दे काल्पनिक बता दिया
हमे कुछ तो ये बताए हमारे घर मे इन्होने हमारा ही क्या रूप बना दिया
 
जिस देश कि नीव ही धर्म के नाम पे पडि. उसकी पहचान को बदल दिया
जिस देश मे 80% हिदु धर्मी फिर भी उस देश का धर्म इन्होने मीटा दिया
जिस देश मे  सब धर्मो को फेलाने कि आजादी हमारी को कम करा दिया
जिस देश मे एक था धर्म उसमे  आर्कक्षण का जहर आपस मे फेला दिया
 
आपस मे बेर का जहर दे फिर गुलाम अपना हमे बना दिया गया
जहां कही भी देखो तुमने धर्म ओर जाति के नाम पर लडा दिया
फिर भी हमारी नादानी देखो तुम्हे समझने मे 50 साल लगा दिया
अब कहते घुम रहे तुमने जाने किस अग्यानी को कुर्सी पर बेठा दिया
 
तुम्ने तो अब अपना असली रूप जनता को दिखा दिया
तुम्हारे अंदर का हिंदु विरोधि रूप सबके सामने जता दिया
तुम्हारे अंदर सत्ता का लाल्च भरा हुआ ये तुम्ने बता दिया
तुमने 370,35ए ओर सी.ए.ए का विरोध कर तुम कोन ये बता दिया

दिल कि तमन्ना : होती कभी नही पुरी हैं, DIL KI TAMANNA, तमन्ना




जो तमन्ना दिल कि पुरी  वो करने कि लगाए जाता दोड. हैं
जो तमन्ना किसी ओर की उसे पुरा करने कि करते होड. हैं

दिल का क्या ये तो दल-बदलु  पल मे बदल जाता हैं
दिल को जो पशंद आ जाए ये उसी तरफ हो जाता हैं 

पशंद का ना करे  ये पल मे ही हम से नाराज हो जाता हैं
पशंद का हो जाए ये पल मे प्यार का आगाज कर जाता हैं

 
समय के साथ -2 इसकी भी पशंद बदलती जाती हैं
समय के साथ -2 ईसकी नई पशंद बनती जाती हैं

बचपन मे खेलते ही रहना इसको जो पशंद आता रहा हैं
बचपन जो गुजरा तो खेलना अब इसको पशंद नही आ रहा हैं

 
जवानी मे दिल की तम्न्ना कुछ अलग ही हो जाता हैं
जवानी मे दिल की तम्न्ना कुछ ठोश होती जाती हैं
 
जेसे-2 जिंदगी बढती जाती दिल कि तम्न्ना बदलती जाती हैं.
जब बच्चे हो जाते तो अपनी तम्न्ना को हम भुलते जाते हैं
 
फिर बच्चे ही हमारे दिल कि तम्न्ना बनते जाते  हैं
फिर हम बच्चो कि तम्न्ना को ही पुरा करते जाते हैं
 
जब बच्चे अपने- अपने जिवन  मे कामयाब हो जाते हैं
फिर अपने दिल को भगवान की प्र्राथना कारने लग जाते हैं
 
इस तरह हम अपनी तमन्नाओ को पल पल बदलते जाते हैं
      नही मरने कि तमन्ना लिए इस दुनिया से भी चले जाते हैं

          "जय हिंद"


वो तेरा नजारा , जो देख सके ना हम दुबारा, vo tera najaraa ,

जब देखा मेंने तेरा वो अजब गजब नजारा

जहां हम देखते दिखता प्यारा वो नजारा

अकेलेपन मे भी लग ग्या था मन हमारा

पल-2 बदलता रहता वहां का प्यार नजारा

पहले हमने नही देखा इतना प्यारा पहाड. का नजारा

पहली नजर मे तुम्हारी उचाई ने मनोबल घटाया हमारा

पहले तो तेरे रास्ते चलते-2 शांश चढ्ता जा रहा हमारा

पहली बार बादलो मे चल दिल मचल रहा हमारा

सुबह से स्याम हो गई दिखाई ना दिया जब पोस्ट हमारा

साथ मे थे जो हवल्दार ने मनोबल दिया जो बढा हमारा

सुबह से चले आ रहे सब अब बस आने वाला पोस्ट हमारा

सुन ये उनकी बात मनोबल ओर बढा  गया जो हमारा

जेसे ही हमे लकडी. के एक गेट का हुआ नजारा

वेसे ही मनोबल ओर दुबारा बढता जो गया हमारा

गेटपे "महार हैं महिर हैं" लिखा उस पर नारा हमारा

गेट्पे गर्म जाम के साथ वेल्कम हुआ जो वहां हमारा

पहाडो.कि उचाई वाले रास्ते पर बहुत भारी बेडिग जो हमारा

पहाडो. के रास्तो मे देख देख नजारे होश उडा. गए जो हमारा

पहाडो. पे पहाडो. कि रिज पे रिज होश उडाए जा रही जो हमारा

पहाडो के रास्ते पर बर्फहीबर्फ गर्म शरीर ठंडा करजाए जो हमारा

दुसरे दिन की सुबह का क्या गजब बना सुर्योदय का नजारा

दुर दुर तक बर्फ ही बर्फ का जो बना चारो ओर का नजारा

दुर-2 तक नजर जाए वहां अकेला बना पोस्ट हमारे का नजारा

गर्मि के मोसम मे तरह -2 के फुलो का बाना वहां का नजारा

                      जय हिंद                         


कोरोना काल 2020


 Corona Pandemic

कोरोना तेरे काल मे बदलाव आ गया दुनिया कि चाल मे
कोरोना तेरे काल मे सब निरोगी रहना चाहते हर हाल मे


कोरोना के डर से कब तक बंद रह्ते घर हाल मे
घर से बाहर जाऐ तो बिमारी से है सब बुरे हाल मे
जो देश विकशित बताते आए सब फसे हैं इस्के जाल मे
 जनता गरिब जिस देश मे वो होना चाहिए किस हाल मे


कोरोना ने बदलाव  कर दिया दुनीया के महोल मे
साफ- सफाई के गुण ला दिए  हर घर के महोल मे
सुनशान महोल बना दिया हैं इसने पुरे  जहाँन मे
सब देश विचार करने लगे हैं    इसके उपचार मे

 बंद सबको इसने कर दिया अपने घरो कि चारदिवारो मे
 बचने को सोशल डीसटेंशिंग प्रयोग किया जाने लगा कतारो मे
बेठको का दोर तेजी से चलने लगा सभी देशो कि सरकारो मे
रोज रोगी हो रहे ज्यादा दिखाया जाने लगा सभी समाचारो मे


साफ सफाइ की अछ्छि आदत कि सुरुआत हुई सभी बजारो मे
मास्क ओर सेनेटाइजर दिखाई देने लगा सभी के हाथ ओर बाजारो मे
कोरोना ने बदलाव ला दिया हमारेआपस मे मिलनेे के सभी संस्कारो मे
जगह- जगह दो गज़ कि दुरी के निशान दिखने लगे  भरे बाजारो मेे

भाग दोड. भरी जिंदगी थम शी गई इस कोरोना काल मे
सायद ही सभी बच्चे स्कुल जा पाऐ अब इस २०२० के साल मे
बाजार मे बने रहना हो तो आंन लाईन आना होगा हर हाल मे
मोबाईल वालो ने खुब डाटा बेचा 
आंन लाईन  के बाजार मे

अब जागरुकता सी बनी  इमोनो सिसिट्म के बारे मे
जागरुकता बढ गई हल्दि ओर तुल्शी के गुण के बारे मे
हर कोई कहने लगा बस भलाई  ग़रम- गरम खाने मे
सायद हि कोई रिपोर्ट चोरी कि लिखी होथ थानेे  मे 

 घर पर ही रहा इंशान अपने आप को बचाने मे
अब जायका आने  लगा उसे अपने  घर के खाने मे
कुछ समय बच्चो केे साथ बिता पाऐ घर रुक जाने मे
सभी ने एक दुसरे का हाथ बटाया खुब घर के खाने मे



देश प्रेम एक विचार या संसकार हैं, DESH PREM EK VICHAR YA SANSHKAAR, Patriotism is a thought or Sacrament

 



 देशप्रेम एक विचार या एक संस्कार हैं
मेरे दिल मे ये विचार आता बार है

हमे जनता ओर सरकार से बेरुखि होती लगातार हैं
हम  फिर भी  सदा युध के लिए रह्ते तेयार हैं


जब शहिदो के जनाजे पर जंनता आती बेसुमार हैं
जब जताती झुठा देश प्रेम हमारी ये सरकार हैं
वोट प्रेम के लिए हमारा  झुठा करती प्रचार हैं
जीते जी सैनिको पर होता सदा हि अत्याचार हैं

आतंकवादियो को भी मिलेे  हमारे जीवन से बडे मानव अधिकार हैं
जनता ओर सरकार के बिच मे खो जाते हमारे तो मानव अधिकार हैं
हमे आजादी से अब तक  यु ही शहिद करवाती आई ये सरकारे हैं
हम अपनी सरकार के अदेशो पर  काम करते आऐ लगातार हैं


 जवान होते जब तक  हम सरकार के काम के होते हैं
जवानी मे हम पे जो   इमोशनल अत्याचार होते हैं
फिर भी हम तो झंडे मे लिपटने को हमेशा तेयार होते हैं
मन  विचलित होता जब सबुत देेंने के जो सवाल होते हैं

जब हम छुट्टी के लिए साल मे  घर का रुख करते  एक बार हैं
जब जल्दी मे बिना सिट के ही रेल मे यात्रा करते लगातार हैं
जब किसी को  नही आता हम पे   वो देशप्रेम वाला प्यार हैं
लेट्रिंग के पास सुहाँना सफर  का अनुभव लेता लगातार हैं


जब छुट्टी मे कानून दिखती हम पे ये हमारी सरकार हैं
एक छोटे से काम के लिए चक्कर लगवाति लगातार हैं
बोर्डर पर खत्म कर देती सारे हमारे मानव अधिकार हैं
क्या क्या  बाताए हमारे पे जख्मो कि लगी लम्बी कतार है 



                 

Foji ke man ki kashak-2 फोजी के मन कि क्श्क -२ , HEART FEELING OF A ARMY MEN

 

 HEART FEELING OF  ARMY MAN

अब मन मे कस्क लिए मन ही मन मुसकराते जाते हैं
अब मन का कुछ बताते तो वो हमे फोजि मेंटल कह जाते हैं 
 

 एक तरह से हम दो तरह कि दुनिया मे बट जाते है
 एक तरफ वो जो  हुकम हमारे पे चलाते जाते है
 वो भविष्य अपना बना जाते पर  हमे अंधकार मे डाळ जाते है
 दुसरी तरफ वो जो दिल मे घुस कर अरमानो को लूट ले जाते हैं

 
 क्यो लोग अभी तक हमारी इस तिसरी दुनिया को  नही जान पाए हैं
 क्योकि  एक सैनिक पर  राजनिति करने का प्रतिबन्ध जो लगाए हैं
 क्यो अ‍भी तक सैना से अंग्रेजो के कानून को नही हम हटा पाए है
 इसलिए ये वीर सैनिक अपने देश मे अपनो से धोखा खाते आए हैं
 
 शाशक ओर प्रशाशन के बिच पीसते हम आए हैं
 जो कभी एल ओ सि ओर एल ए सि ना जा पाए हैं
  वो ही सदा से  हमारे लिए नियम बनाते  आए हैं
 इसलिए  हमारे अधिकार  हमेशा से कम होते गए हैं

 
 एक जगह एक साथ जो हमारे साथ काम करते आए हैं
उसमे भी अलगअलग हमे क्यो व्यवहार करते आए हैं
सबसे आगे  कि लाईन मे   हम  सदा लडते आए है
पर हमारे आफिसर ही ज्यादा  फायदा लेते आए हैंं
 
हम ओर हमारे आफिसर जिस बेसिक से भर्ति होकर आए हैं
उसमे एजुकेशन देख हमारे सारे बेसिक जो बनते आऐ हैं
पर एक जगह एक काम के अलग 2 भतत्तो के क्यो नियम बनाए हैं
ओर क्या देखे एक बाबु से भी निचे वाले पेय ग्रुप मे हम  बेठाए हैं


 जनता से क्या कहे हम  हम तो हर जगह भेद भाव सह्ते आए हैं
 हमारे से उप्पर कोइ ना ये सब देश्प्रेमी हमे सब ये कहते आए हैं 
 पर हम अपने घर कि तरफ से भी निशचिंत नही हो पाए हैं
 हमसे घर पर गलती से कोई गलती हो जाए तो जेल मे तुरंंत पाए हैं 
   
जेल तो चले गए पर पुलिस ने फोजी फशा ये कह अपने रंग दिखाए हैं
जेल  तो चले गए पर दुसरो से ज्यादा हमारे से वसुल कराए हैं
देख ये सैनिक प्रेम हम बहुत मन ही मन भी  नही पाए हैं 
फिर भी हम  अपना देश प्रेम  काम के रूप मे दिखाते आए हैं

 
                             
 "जय हिंद"


फोजी के मन कि क्श्क, A army men hearts filling

                

       FOJI KE MAAN KI KSHAK ?



  हम झंडे मे लिपट कर आते दिखाते सब क्याझुठा    प्यार हैं

  जैसे ही आते साथ रहन करने लग जाते हम पर वार हैं

   हमारे तन मन ओर धन से धोखा  ये कर जाते हर बार हैं
   हम फिर भी इन्से दिल से जताते  जाते प्यार हैं
   छुट्टि जाते तो भी रास्ते मे लुतने को होते ये  तेयार हैं
   ये हमे ट्रेन मे शिट कि क्या कहे जय हिंद  भी नहि कह पाते हैं
   
 जब जवानी गुजार आते  मोत के दर्बार हैं
   हम सिधे  रह जाते  छल कि दुनिया करती शर्मशार हैं
  पेंनसन से नही  चल पाता ये घर परिवार हैं
  फिर हम जा नोकरी के लिऐ लगाते कतार है
 
 आर्कछ्ण के नाम पे  देती ये धोखा सरकार  है
 देश सेवा बाता कर  हनन कर दिये सारे अधिकार हैं
अपनी नोकरी मे हम  समाज से हि कट जाते हैं
जो आर्कछ्ण दे रखा वो भी नही ले पाते हैं
 
 सबसे ज्यादा हमे धोखा देति आई  हमारी सरकार  हैं
 जो जो भी नियम बनाति, साथ ना लेति हमारे जानकार हैं
 हमारे आफिशर होते जो जता जाते अपना हि अधिकार  हैं
 हमे फिर नही मिलते हमारे मिलने वाले अधिकार है
 
 जब जान देने कि बारी आति  सबसे आगे आते हम हर बार हैं
 भारत माता को  विजय  दिलाते  हर बार हैं
               फिर भी तिरस्कार क्यो होता हमारा लागातार हैं
 हमे तो कुछ मिलता  आफिसर ले जाते सारे  पुर्शकार है
 
 सारी जवानी  रेगिसतान ओर बर्फ कि पहाडीयो  मे कट जाती है
 हमे हमारे  बच्चे ही  पह्चान्ने मे वर्सो लगा जाते   है
 डयुटि के चक्कर मे हम अपने संशार  को भुला देते हैं
 जरुरत के समय ये  सब हमे आखे दिखा देते हैं

 हमारी जो पहचान, सबसे बडे बलिदानी के रूप मे होती हैं
बाद मे ये पह्चान बस,एक गार्ड  के नए रूप मे होती हैं
हमारे हिस्से मे बस एक   गुरूप डि की ही नोकरी आती हैं
कयोकि -   हम तो जंगल छानते रह जाते  
नोकरी एअर फोर्स ओर नेवि वाले ले जाते हैं

 उप्पर बताई बाते जब  किसी फोजि के सामने आती हैं
  अपने काम ओर इनाम को सोच 2 कर  उसकि आंखे भर आती है
   पर अब हम कर भि क्या पाते दर्द लिए मन ही मन मुकरा जाते हैं
   किसी को बताते तो वो हमे फोजि मेंटल बता जाते हैं




जीवन एक कविता : JIVAN EK KAVITA : LIFE IS A POEM

 ये कविता मेरे दिल का एक छुपा हुआ गम हैं
सोचता हुं कितने ओर अभी पिने ये गम है

कब मे कविता लिखने लगा  पता ही नही चला हैं
हां बस कुछ घर से दुर रहने  मोका जो मिला है

 ना अब तक कोई कविता  मेरे जीवन मे आई है
 ना अब तक कोई कविता  मन मे घर कर पाई हैं

फिर भी ना जाने क्यो मन केे ये मेरे तराने बन गए हैं
फिर जाने क्यो ये मेरे लिखने के बहाँने बन गए हैं
 मेंने जो सपने संजोए थे वो अभी पुरे नही हो पाए है
पर जीवन की दोड मे हम बहुत आगे निकल आए हैं


 दिल मे छुपे जख्म नग्मे बन सामने जो ये आए है
अपने अलावा किसी को ना अपना गम बता पाऐ हैं
 जीवन मे सभी रिस्ते अपने  छुपे रंग  दिखाते आए हैं
इन रंगो को देख- मन ही मन सिसकते हम आए हैं.

 चाहकर भी ना हम किसी को गम  बता पाए हैं
ओर चाहा कर भी हम ना वो जख्म भुल पाए हैं
 इसी गलती पर अपने आप को  कोसते आए हैं
 पर इसी गम से अपना मनोबल उंचा करते आए है



देविंदेर ने इन गमो को समझ कर पी लिया रम हैं
दुनिया को देेेख कर कुछ नही अपना ये गम हैं 
कहने को तो  जाने कितनी लम्बी ये लाईन हैं
पर कम मे जो समझ आ जाऐ वो ही फाईन हैं

                JAI HIND