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जिंदगी के रंग


जिंदगी के रंग, जाने कब हो जाए बदरंग

जिंदगी के संग, जाने कब हो जाए जंग


ना कोई आया संग , ना कोई जाने वाला संग

फिर भी मोहमाया के जाल मे, फसा रहता हर दम

जिंदगी के रंग, जाने कब हो जाए बदरंग............


बात अब अपने बापू कि करता हूँ----


मेरी यादो मे जब तक है,  जों मैं जनता हूँ

जब पहली बार स्कूल मे गए  तो दिल्ली थे -


लेकिन पहली से सेना मे जाने तक, गाव मे ही पढाई हूई

लेकिन  समय के साथ अनेक रंग जिवन मे बदले हुए नजर आए


जो समय अब तक  बिता जाने क्या क्या नही बदला 

जीवन का सायद हि कोई रंग होगा जो नही बदला होगा।


पचपन के सभी साथी बदल गए , 

समय के साथ मिले सभी साथी पिछे रह गए


पहले तो कोई फोन नही था 

लेकिन अब फोन होने पर भी कोई, 

बिना मत्लब के कोई याद नही करता है 


इन 40 सालो मे  सब बदल चुका हैं

रिसते भी, दोस्त भी, राहो के साथी भी 


देख कर दुनिया के रंग, केवल एक रंग सच्चा लगा 

वो केवल माता -पिता के प्यार का रंग।


भाई  अपना हिस्सा लेकर अलग हो गए 

बाकी सभी अपने अपने रंग मे रन्ग गए ।









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